वार्ड लियोनार्ड विधि - वार्ड लियोनार्ड एक ऐसी विधि है जिसमे डी.सी मोटर की गति कंट्रोल ही नहीं घूमने की दिशा भी बदल सकते है। इस विधि से हम जीरो से अधिक स्पिड़ प्राप्त कर सकते तथा विपरीत दिशा में मोटर को घुमा कर शून्य से अधिक गति प्राप्त कर सकते है।

वार्ड लियोनार्ड विधि द्वारा डी सी मोटर की स्पीड कंट्रोल करना - इस विधि में जिस मुख्य मोटर की स्पीड को नियंत्रित करना है उसके आर्मेचर को वेरीयेबल वोल्टेज दी जाती है । आर्मेचर पर वेरीयेबल वोल्टेज देकर इच्छानुसार कोई भी स्पीड प्राप्त कर सकते है। यह वेरीयेबल वोल्टेज पराईम मूवर -जनरेटर सैट से प्राप्त की जाती है जिसमें एक पराईम मूवर ( D.C या A.C.मोटर ) एक जनरेटर के साथ मकैनीकली जुड़ा रहता है। इस जनरेटर की फिल्ड वाइंडिंग भी डी.सी सप्लाई से स्थाई रूप से जुड़ी रहती है और जनरेटर की आउटपुट वोल्टेज को जीरो से अधिकतम मान तक फिल्ड रैगुलेटर द्वारा बदला जाता है।
वार्ड लियोनार्ड विधि द्वारा डी सी मोटर की घूमने की दिशा बदलना - इस विधि से मोटर के घुमने की दिशा, जनरेटर की फिल्ड करन्ट की दिशा बदलने से बदली जा सकती है । प्राइम मूवर-जनरेटर सैट हमेशा स्थिर स्पीड पर एक ही दिशा में घूमता है इस लिए जनरेटर की फिल्ड वाइंडिंग में एक रिवर्सिंग सी स्विच लगा होता है जो फिल्ड करंट की दिशा को बदलता है। इस प्रकार उत्तपन ई०एम०एफ० की पोलैरिटी बदल जाती और इस तरह से मेन मोटर की दिशा बदल जाती है। इस विधि का दोष यह है कि इसका शुरू का करन्ट बहुत अधिक और एफीशियेंन्सी कम होती है।
स्पीड नियंत्रण करने की इस विधि का प्रयोग स्टील रोलिंग मिलज, पेपर मिलज, आदि में किया जाता है ।