डी o सी o मोटरें :- डीo सीo मोटरों की बनावट बिलकुल डीo सीo जनरेटरों जैसी होती है अर्थात दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि डीo सीo जनरेटर तथा डी सी मोटर में बनावट के लिहाज से कोई अन्तर नहीं है, यदि कोई अन्तर है तो यह केवल  इनपुट तथा आउटपुट में । डी. सी. जनरेटर में हम यांत्रिक ऊर्जा को विधुतीय ऊर्जा में बदलते हैं, तो यहां डी0 सी0 मोटर में विधुतीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदला जाता है।

डी.सी. मोटर का सिद्धान्त (principal of d.c motet):- डी.सी. मोटर विधुत चुम्बकीय खिंचाव (electromagnetic drag) के सिद्वान्त पर कार्य करती है। इस सिद्वान्त के अनुसार जब किसी करन्ट युक्त्त चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उस चालक पर घुमाव बल टार्क उत्पन्न हो जाता है।

विधुत-चुम्बकीय खिंचाव ( electromagnetic drag) :-डी0 सी0 जनरेटर में यह पाया गया है कि प्रेरित विद्युत धारा (current) के कारण आम्रोचर भी अपना एक मैग्नेट फिल्ड स्थापित करता है यह मैगनेटिक फिल्ड आर्मेचर को उसकी घुमाव दिशा के विपरीत दिशा में घुमाने का प्रयास करता है., यह प्रयास विधुत चुम्बकीय खिंचाव कहलाता है। यह खिंचाव ही डी. सी. मोटर के आर्मेचर में घुमने की गति के रूप में यांत्रिक ऊर्जा पैदा करता है।

टार्क Torque :- टार्क एक घुमाव बल है जो किसी वस्तु को अपने अक्ष के इर्द-गिर्द घूमने के लिए मजबुर करता है। डी.सी. मोटर में टार्क दो प्रकार का होता है।
1  आर्मेचर टार्क
2  शाफ्ट टार्क
आर्मेचर टार्क (Armature Torque) :-डी.सी. मोटर के आर्मेचर में प्रत्येक चालक द्वारा टार्क उत्तपन किया जाता है जिस के द्वारा आर्मेचर घूमता है। अतः आर्मेचर के प्रत्येक चालको द्वारा उत्तपन टार्क के कुल योग को आर्मेचर टार्क कहा जाता है। इसे Ta द्वारा दर्शाया जाता है।

शाप्ट टार्क (Shaft Torque ) :-आर्मेचर में उत्तपन टार्क
शाप्ट टार्क:- आर्मेचर में उत्तपन टार्क मोटर चलाने में उपयोग नही होता क्योकि कुछ टार्क हानियों द्वारा नष्ट हो जाता है यह हानियां लोह व् घर्षण हानिया होती है। लोह व घर्षण हानियों में नष्ट टार्क के उपरान्त बाकी बचने वाले टार्क को जिससे की मोटर कार्य करती है शाप्ट टार्क कहा जाता है। शाप्ट टार्क को Tsh से दर्शाया जाता है।
लास्ट टार्क (lost torque):- आर्मेचर टार्क  तथा शाप्ट टार्क के अन्तर को लास्ट टार्क कहा जाता है
Lost Torque= Ta-Tsh