(speed control of d.c motor):- डी.सी मोटर की speed निम्न बातों पर निर्भर करती है।
1. मोटर की स्पीड,वोल्टेज कम करने पर घटती है तथा वोल्टेज बढ़ाने पर कम होती है।
2. बैकं ई .एम.एफ के बढ़ने पर स्पीड बढ़ती है तथा पर घटती है।
3. चुम्बकीय फ्लक्स के कम होने पर स्पीड बढ़ती है तथा चुम्बकीय फ्लक्स के बढ़ने पर मोटर की स्पीड घटती है।
डी.सी मोटर की स्पीड कंट्रोल करने की विधियां-
1. परिवर्तन शील वोल्टेज द्वारा
2. फिल्ड कंट्रोल विधि द्वारा
3. आर्मेचर कंट्रोल विधि द्वारा
शंट मोटर की स्पीड कंट्रोल:- 1. डी.सी मोटर को परिवर्तन शील सप्लाई देकर परिवर्तन शील स्पीड प्राप्त कर सकते है अर्थात मशीन को कम वोल्टेज देकर मशीन की स्पीड को कम किया जा सकता है।
2. फिल्ड कंट्रोल द्वारा:- इस विधि का प्रयोग करके मशीन की स्पीड बढ़ाई जा सकती है।इससे मशीन की स्पीड को 3% तक बढ़ाया जा सकता है। इस विधि में फिल्ड के सीरीज में रहिओस्टेट का प्रयोग किया जाता है इस विधि में फिल्ड का रजिस्टेंस बढ़ा कर करंट कम किया जाता है जिसके कारण चुम्बकीय फ्लक्स कम हो जाता है और फ्लक्स के कम होने पर स्पीड बढ़ जाती है।
आर्मेचर कंट्रोल:- इस विधि में डी.सी शंट मोटर के आर्मेचर के सीरीज में वेरियबल रहिओस्टेट जोड़ा जाता है। इस विधि द्वारा मोटर की स्पीड कम हो जाती है।
डी.सी सीरीज मोटर की स्पीड कम करना-
1.फिल्ड डाईवर्टर विधि
2. फिल्ड कंट्रोल विधि
3. आर्मेचर डाईवर्टर विधि
फिल्ड डाईवर्टर विधि - फिल्ड डाईवर्टर विधि में डी.सी सीरीज मोटर के समान्तर में परिवर्तनशील रहिओस्टेट जोड़ा जाता है। इस विधि द्वारा डी.सी सीरीज मोटर की speed कम की जा सकती है।
टैपड फिल्ड कंट्रोल विधि:- इस विधि में डी.सी सीरीज मोटर को फिल्ड वाइंडिंग से कई सारी टैंपिग निकाल ली जाती है। इससे मोटर की फिल्ड का रजिस्टेंस कम किया जाता है जिससे की करन्ट बढ़ने के कारण चुम्बकीय फ्लक्स भी बढ़ जाता है। चुम्बकीय फ्लक्स बढ़ने के कारण मोटर की स्पीड कम हो जाती है।
आर्मेचर डायवर्टर विधि :- इस विधि में डी.सी सीरीज मोटर के आर्मेचर के समान्तर में परिवर्तन शील प्रतिरोध जोड़ा जाता है जिसे की डायवर्टर कहा जाता है जिसके कारण मोटर के आर्मेचर का करन्ट कम हो जाता है और मशीन के आर्मेचर का फ्लक्स भी कम हो जाता है जिसके कारण मोटर की स्पीड कम हो जाती है।
1. मोटर की स्पीड,वोल्टेज कम करने पर घटती है तथा वोल्टेज बढ़ाने पर कम होती है।
2. बैकं ई .एम.एफ के बढ़ने पर स्पीड बढ़ती है तथा पर घटती है।
3. चुम्बकीय फ्लक्स के कम होने पर स्पीड बढ़ती है तथा चुम्बकीय फ्लक्स के बढ़ने पर मोटर की स्पीड घटती है।
डी.सी मोटर की स्पीड कंट्रोल करने की विधियां-
1. परिवर्तन शील वोल्टेज द्वारा
2. फिल्ड कंट्रोल विधि द्वारा
3. आर्मेचर कंट्रोल विधि द्वारा
शंट मोटर की स्पीड कंट्रोल:- 1. डी.सी मोटर को परिवर्तन शील सप्लाई देकर परिवर्तन शील स्पीड प्राप्त कर सकते है अर्थात मशीन को कम वोल्टेज देकर मशीन की स्पीड को कम किया जा सकता है।
2. फिल्ड कंट्रोल द्वारा:- इस विधि का प्रयोग करके मशीन की स्पीड बढ़ाई जा सकती है।इससे मशीन की स्पीड को 3% तक बढ़ाया जा सकता है। इस विधि में फिल्ड के सीरीज में रहिओस्टेट का प्रयोग किया जाता है इस विधि में फिल्ड का रजिस्टेंस बढ़ा कर करंट कम किया जाता है जिसके कारण चुम्बकीय फ्लक्स कम हो जाता है और फ्लक्स के कम होने पर स्पीड बढ़ जाती है।
आर्मेचर कंट्रोल:- इस विधि में डी.सी शंट मोटर के आर्मेचर के सीरीज में वेरियबल रहिओस्टेट जोड़ा जाता है। इस विधि द्वारा मोटर की स्पीड कम हो जाती है।
डी.सी सीरीज मोटर की स्पीड कम करना-
1.फिल्ड डाईवर्टर विधि
2. फिल्ड कंट्रोल विधि
3. आर्मेचर डाईवर्टर विधि
फिल्ड डाईवर्टर विधि - फिल्ड डाईवर्टर विधि में डी.सी सीरीज मोटर के समान्तर में परिवर्तनशील रहिओस्टेट जोड़ा जाता है। इस विधि द्वारा डी.सी सीरीज मोटर की speed कम की जा सकती है।
टैपड फिल्ड कंट्रोल विधि:- इस विधि में डी.सी सीरीज मोटर को फिल्ड वाइंडिंग से कई सारी टैंपिग निकाल ली जाती है। इससे मोटर की फिल्ड का रजिस्टेंस कम किया जाता है जिससे की करन्ट बढ़ने के कारण चुम्बकीय फ्लक्स भी बढ़ जाता है। चुम्बकीय फ्लक्स बढ़ने के कारण मोटर की स्पीड कम हो जाती है।
आर्मेचर डायवर्टर विधि :- इस विधि में डी.सी सीरीज मोटर के आर्मेचर के समान्तर में परिवर्तन शील प्रतिरोध जोड़ा जाता है जिसे की डायवर्टर कहा जाता है जिसके कारण मोटर के आर्मेचर का करन्ट कम हो जाता है और मशीन के आर्मेचर का फ्लक्स भी कम हो जाता है जिसके कारण मोटर की स्पीड कम हो जाती है।